नमाज का तरीका हिंदी में Namaz Ka Tarika In Hindi Full Namaz in Hindi namaz ka tarika sunni namaz ka tarika rakat In Hindi जुमे की नमाज का तरीका हिंदी में
अगर आप इस्लाम से ताल्लुक रखते है ऐसे में आपके पांच वक्त की नमाज रोजाना पढ़ना फर्ज है लेकिन बहुत से भाई बहन उर्दू अरबी नहीं पढ़ सकते है उनके लिए नमाज का तरीका हिंदी में लिख रहे है
नमाज पढ़ने का सुन्नत एंव सही तरीका की जानकारी दे रहे है इस लेख में अधिक से अधिक नमाज पढ़ने का तरीका आपको सीखने को मिलेगा
नमाज का तरीका हिंदी में | Namaz Ka Tarika
मेरे प्यारे प्यारे इस्लामिक भाइयो बहनों हमने पांच वक्त की नमाज का तरीका विस्तार से पहले ही बताया हुआ है जिसे क्लिक से आप पढ़ सकते है और आज के लेख में हम निम्नलिखित नमाज का तरीका सीखने जा रहे है:-
- जनाजे की नमाज
- शबे बरात की नमाज़
- औरत की नमाज का तरीका
- सलातुल हाजत नमाज का तरीका
- जुम्मा की नमाज का तरीका
- नमाजे इस्तिस्का बारिश मांगने की दुआं
- चाँद गरहन और सूरज गरहन की नमाज
- खौफ की नमाज
- तरावीह की नमाज
- कुछ नफ्ल नमाज
- मुसाफिर की नमाज
जनाजे की नमाज | Namaz In Hindi
Namaz In Hindi: जनाजे की नमाज का तरीका बहुत ही आसान है थोड़ी सी मेहनत की जाए तो बहुत ही कम समय में इस नमाज को सीखा एंव सीखाया जा सकता है
इस नमाज पढ़ने का तरीका पहले बताया गया है अगर आपने नहीं पढ़ा है तो क्लिक से पढ़े जनाजे की नमाज का तरीका हिंदी में
नमाजे इस्तिस्का बारिश मांगने की दुआं | नमाज का तरीका
यह नमाज दोपहर से पहले पढ़ी जाती है। यह नमाज़ दो रक्अत और जहरी होती है, जिस तरह कि फ़ज्र के दो फ़र्ज़ । अगर पहले दिन बारिश न आए तो दूसरे दिन पढ़ी जाए, इसी तरह तीन दिन तक पढ़ी जाए। नमाज़ अदा कर चुकने के बाद नीचे लिखी दो दुआएं मांगी जाएं
इनके अलावा भी दुआएं मांगी जा सकती हैं। इमाम दुआ मांगे और मुक्तदी आमीन कहे।
- अल्लाहुम्मस्कि अिबादि-क व बहाइम-क वन-शुर रह-म-त-कवयि ब-ल द-कल मय्यिति०
- ऐ अल्लाह ! अपने बन्दों और जानवरों को पानी पिला दे
- अपनी रहमत को आम कर दे और अपने मुर्दा शहर को जिंदा कर दे
- अल्लाहुम-मस्क्रिना रौसम मुग़ीसम मरीअम मुरीअन नाफ़िअन ग़ैरजारिन आजिलन और आजिलिन०
- ऐ अल्लाह ! हम पर वर्षा कर जो बरसने वाला हो
- जी भर देने वाला हो, बहार लाने वाला हो, नफ़ा पहुंचाने वाला हो, नुक्सान देने वाला न हो
- जल्द ही आने वाला हो, देर लगाने वाला न हो।
- नमाजे इस्तिस्क्रा में शामिल होने वाले लोगों को चाहिए कि लिबास सादा हो
- जिससे घमंड ज़ाहिर हो, वह न हो और लोग आपस में ख़ामोश और ख़ुदा से डरे हुए हों
- ज़िक्र और इस्तग़फ़ार में लगे हों और नमान के मौके पर कोई काफ़िर मौजूद न होना चाहिए।
चाँद गरहन और सूरज गरहन की नमाज
जब चांद या सूरज गहना जाए (बे-नूर हो जाए) तो उस वक़्त दो रक्त नमाज पढ़ी जाती है। यह नमाज जितनी लम्बी हो सके, उतना इस नमाज को लम्बा करना चाहिए. यहां तक कि उसकी बे-नूरी ख़त्म हो जाए।
नोट- सूरज गरहन की नमाज जमाअत के साथ और चांद गरहन की नमाज बग़ैर जमाअत अदा की जाती है।
खौफ की नमाज का तरीका
जब लोग लड़ाई की हालत में हों और वे सिर्फ़ एक ही इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ना चाहते हों, तो उसका तरीक़ा यह है
- फ़ौज को दो हिस्सों में बांट दिया जाए। एक हिस्सा मोर्चे पर रहे और एक नमाज पढ़े।
- एक हिस्सा आए और इमाम के पीछे एक रक्अत अदा करे
- यानी पहले दो सज्दे करने के बाद बग़ैर सलाम फेरे यह हिस्सा फ़ौज में मोर्चे पर चला जाए
- और फ़ौज का दूसरा हिस्सा आ जाए और
- इमाम के पीछे दूसरी रक्अत मय अत्तहीयात के पढ़कर बग़ैर सलाम फेरे यह मोर्चे पर चला जाए
- और फिर पहला हिस्सा आकर अपने आप बे-क़िरात बाक़ी एक रक्अत पूरी करे
- फिर यह हिस्सा चला जाए और दूसरा हिस्सा वापस आ जाए और पहली रक्अत जो वह इमाम के पीछे न पढ़ सका था,
- पूरी करे और अत्तहीयात भी पढ़े।
- इमाम सिर्फ़ पहले फ़ौज के हिस्से को पहली रक्अत और दूसरे हिस्से को दूसरी रक्अत पढ़ा कर फ़ारिग़ हो जाएगा।
- अगर तीन रक्अत वाली नमाज़ हो तो पहला हिस्सा पहली दो रक्अत पूरी करके
- बग़ैर सलाम फेरे मोर्चे पर चला जाए और दूसरा हिस्सा तीसरी रक्अत इमाम के पीछे अदा करे और इमाम के साथ सलाम फेरे बग़ैर मोर्चे पर
- चला जाए और फिर क़ायदे के मुताबिक़ हर हिस्सा बारी-बारी अपनी नमाज़ पूरी करे ।
- ख़ौफ़ की नमाज़ का यह तरीक़ा तब है जबकि पूरी फ़ौज एक इमाम के पीछे नमाज़ अदा करने की ख्वाहिश रखती हो।
- अगर यह सूरत न हो तो दो गिरोह होकर एक के बाद एक अलग-अलग इमामों के पीछे नमाज़ अदा करें ।
तरावीह की नमाज का तरीका
यह नमाज़ रमजान मुबारक की रातों में पढ़ी जाती है। इशा के चार फ़र्ज़ और दो सुन्नतें अदा करने के बाद वित्र और दो नफ़्ल अदा करने से पहले बीस रक्त दो-दो करके पढ़ी जाती है।
अगर चार रक्अतें एक तक्बीरे तहरीमा से अदा की जाएं, तब भी दुरुस्त है। यह नमाज़ भी जहरी होती है। आम तौर पर हर रमज़ानुल मुबारक की रातों को इन नफ़्लों में तर्तीब के साथ पूरा कुरान सुनाया जाता है और यह सुन्नत है
हर चार रक्अत अदा करने के बाद बैठकर अल्लाह का ज़िक्र नीचे लिखे शब्दों में किया जाता है, फिर और चार रक्अतें पढ़ी जाती हैं। हर चार रक्अत के दर्मियान बैठने की मुद्दत चार रक्त में जितना वक़्त लाता है, उतना होना चाहिए।
पाक है वह जो मुल्क और रूहों का मालिक है। पाक है इज्जत वाला और अज़्मत व हैबत वाला, कुदरत, बड़ाई और ग़लबे वाला। पाक है मालिक (बादशाह) जो ज़िंदा है जो कभी नहीं सोता और न कभी उस पर मौत आएगी। वह निहायत पाक है, निहायत- मुक़द्दस है, जो हमारा रब है, फ़रिश्तों और रूह का रब है । ऐ हमारे अल्लाह ! हमें दोज़खं से बचा, ऐ बचाने वाले, ऐ बचाने वाले, ऐ बचाने वाले ।
वित्र, जमाअत के साथ
वित्र, जमाअत के साथ अकेले वित्र पढ़ने का तरीक़ा तो हम लिख आए हैं। उनके जमाअत के साथ पढ़ने में बस यह फ़र्क़ है कि इमाम तीनों रक्अतों में क़िरात में कि ऊची आवाज़ से करेगा, और तीसरी रक्अत में क़िरात के बाद अल्लाहु अक्बर कहकर सब दुआ-ए-क़ुनूत जो हम लिख आये है उसे धीरे से पढेंगे
कुछ नफ्ल नमाज का तरीका
नमाजे तस्बीह यह नमाज़ बग़ैर जमाअत के पढ़ी जाती है। इसका कोई वक़्त तै नहीं है सिवाए उन वक़्तों के, जिनमें कोई नमाज़ पढ़ना जायज़ नहीं, जैसे सूरज निकलते वक़्त, सूरज डूबते वक़्त, ठीक दोपहर के वक़्त,
और इसी तरह जिन वक़्तों में नफ़्ल नहीं पढ़े जा सकते, जैसे फ़ज्ज्र के बाद सूरज निकलने तक, अत्र की नमाज़ के बाद मरिब की नमाज़ तक और मरिब की नमाज पढ़ने से पहले के अलावा हर वक़्त पढ़ी जा सकती है।
यह चार रक्त नफ़्ल होती है दूसरी चार रक्अत वाली नफ़्ल और इसमें सिर्फ़ यह फ़र्क है कि
- हर रुकूअ करने से पहले पन्द्रह बार
- हर रुकूअ से उठने से पहले दस बार
- और हर बार ‘समिअल्लाहु लिमन हमिदह’ कहने के बाद दस बार
- हर सज्दे में आने से पहले, हर दो सज्दों के दर्मियान बैठने के समय में दस बार,
- हर अत्तहीयात के बाद दस बार।
- ये कुल तीन सौ बार बनते हैं, यह तस्बीह पढ़ते हैं-
इस्तिख़ारे की नमाज़
इस्तिख़ारे की नमाज़ यह नमाज़ खुदा से किसी मामले में भलाई का मश्विरा तलब करने के लिए पढ़ी जाती है। यह दो रक्अत वाली नमाज़ होती है और यह नमाज़ अकेले पढ़ी जाती है।
अगर एक बार पढ़ने से कुछ मामले में, जिस बारे में पढ़ी जा रही हो, दिली इत्मीनान न हो, तो दूसरी बार पढ़े, इसी तरह सात रातें उसे पढ़ता रहे, इनशाअल्लाह इत्मीनान हो जाएगा।
इसका तरीक़ा यह है कि दो रक्अत नफ़्ल पढ़कर और नीचे की दुआ पढ़कर पाक बिस्तर पर दाएं पहलू पर क़िब्ला रुख होकर सो जाए, किसी से बातें न करे-
दुआ हिंदी में
तर्जुमा हिंदी में
मुसाफिर की नमाज का तरीका हिंदी में
मुसाफिर की नमाज का तरीका लिखा जा रहा है ………….
नमाज़ के फर्ज
नमाज के फ़र्ज छह है –
- तक्बीरे तहरीमा
- कियाम (खड़ा होकर नमाज पढ़ना)
- कुरआन पढ़ना
- रुकूअ करना
- दोनों सज्दे करना
- आखिर में अत्तहीयात पढ़ने की मिकदार में बैठना
नमाज के वाजिब
नमाज में वाजिब चौदह हैं
- फर्ज नमाजो की पहली दो रक्अतों को किरात से पढ़ना
- फ़र्ज़ नमाजों की तीसरी और चौथी रक्अत के अलावा तमाम नमाजों की हर रक्अत में सूर फ़ातिहा पढ़ना
- फ़र्ज़ नमाज की पहली दो रक्अतों और वाजिब, सुन्नत नफ़्ल नमाज़ों की तमाम रक्अतों में सूर फ़ातिहा के बाद कोई सूर या एक बड़ी आयत या तीन छोटी आयतें पढ़ना
- अलहम्दु को सूर से पहले पढ़ना
- किरात, रुकूअ और सब्दों को ततबवार अदा करना
- रुकूअ के बाद क़ौमा करना (यानी सीधा खड़ा होना)
- दोनों सज्दों के दर्मियान सीधा बैठ जाना
- रुकूअ, सज्दे वग़ैरह इत्मीनान से करना
- पहले क़ादे में अत्तहीयात के बराबर बैठना
- दोनों क़ादों में अत्तहीयात पढ़ना
- जहरी नमाज़ों को जहरी और सिर्री नमाजों को सिर्री पढ़ना (जहरी नमाज में अगर सूरः फ़ातिहा अर्रहमानिर्रहीम तक या इससे ज्यादा धीरे से पढ़ा या सिर्री में ऊंची आवाज़ से पढ़ा तो सज्दा वाजिब है।
- अस्सलामु अलैकुम कहकर नमाज से फ़ारिश होना
- वित्र की नमाज में हाथ उठा कर तकबीर कहना और दुआ-ए-कुनूत पढ़ना
- दोनों ईदों की नमाजों में छ-छ तक्वीरें ज्यादा कहना
इनके अलावा दो बार रुकूअ करने, तीन बार सज्दा करने, फ़र्ज़, वाजिब और सुन्नत नमाज़ों में पहले क़ादा में अत्तहीयात के बाद ‘अल्लाहुम-म सल्लि अला मुहम्मद’ तक या ज्यादा पढ़ने या इतनी देर खामोश बैठे रहने से भी सज्दा वाजिब है। अगर मुक्तदी को इमाम के पीछे कोई सव हो जाए, तो उस पर सज्दा वाजिब नहीं है।