जनाजे की नमाज का तरीका Janaze Ki Namaz Ka Tarika in Hindi Full

जनाजे की नमाज का तरीका Janaze Ki Namaz in Hindi janaze ki namaz ka tarika in hindi नाबालिक बच्चे की जनाजे की दुआ जनाजे की नमाज कैसे पढ़े हिंदी में

इस्लाम में जब किसी इंसान की मय्यत हो जाती है ऐसे में मय्यत हुए शख्स की नमाज भी पढ़ी जाती है जिसे जनाजे की नमाज के नाम से जाना जाता है ऐसे बहुत से भाई जो जनाजे की नमाज का तरीका भूल जाते है ऐसे में उनके लिए लिख रहे है जनाजे की नमाज कैसे पढ़े का तरीका जाने हिंदी में

जनाजे की नमाज का तरीका

  • सबसे पहले जनाजे की नमाज पढ़ने के लिए मैयत को उत्तर – दच्छिन की दिशा में पश्चिम की ओर रख दिया जाता है
  • फिर इमाम उस मैयत के सामने क़िबला रुख खड़ा हो जाता है और पीछे मुक्तदी सफ़ बांध कर खड़े हो जाते हैं ।
  • फिर नीयत कर ली जाती है कि अल्लाह की हम्द व सना कर रहे हैं।
  • हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को दरूद का तोहफ़ा भेज रहे हैं
  • और इस मैयत के लिए दुआ-ए-मफ़िरत कर रहे हैं।
  • यह नीयत दिल में कर लेना काफ़ी है।
  • फिर इमाम अल्लाहु अक्बर कहकर कानों तक हाथ उठाने के बाद हाथ बांध लेगा
  • और मुक्तदी भी उसी तरह करेंगे,
  • जिसतरह आदमी बाक़ी नमाज़ों में करता है, फिर इमाम और मुक़्तदी सब धीरे-धीरे अपने आप पढ़ेंगे।

जनाजे नमाज की दुआ
सुब-हा-न-क ल्ला हुम-म व बिहम्दि क व त-बा-र- कस्मु-क व तआला जद्दु-क व जल्ल सनाउ-क व ला इला-ह
तर्जुमा
(ऐ अल्लाह ! तू पाक है और खूबियों वाला है, तेरा नाम बरकत वाला है, तेरी शान बहुत ऊंची है, तेरी खूबियां बहुत बड़ी हैं और तेरे सिवा कोई माबूद नहीं।)

जनाजे की नमाज का तरीका Janaze Ki Namaz in Hindi
  • फिर इमाम ऊंची आवाज़ से अल्लाहु अक्बर कहेगा
  • और मुक्तदी धीरे से तस्बीर कहेंगे। हाथ पहले ही की तरह बांधे रखेंगे, फिर पढ़ेंगे-

‘अल्लाहु – म सल्लि अला मुहम्मदिंव व अला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लै त व सल्लम त व बारक-तव रहिम – त व त -रह- हम त अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीम इन्न- क हमीदुम मजीद०’
तर्जुमा
(ऐ अल्लाह ! रहमत फ़रमा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर और उनकी औलाद पर जैसा कि तूने रहमत फ़रमाई, सलामती दी, बरकत फ़रमाई, रहमत व शफ़क़ फ़रमाई हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम पर और उनकी औलाद पर यक़ीनन तू बड़ी खूबियों वाला और बुजुर्गी वाला है।)

जनाजे की नमाज का तरीका Janaze Ki Namaz in Hindi

Janaze Ki Namaz Ka Tarika in Hindi

  • अब आगे जाने की जनाजे की नमाज का तरीका हिंदी में
  • फिर पहले ही की तरह तक्बीर कही जाए।

अल्लाहुम्मफ़िर लिहय्यिना व मय्यितिना व शाहिदिना वग़ाइबिना व सग़ीरिना व कबीरिना व ज़-क रिना व उन्साना अल्लाहुम मन अयैतहू मिन्ना फ़ अयिही अलल इस्लामि व मन त- वफ़्फ़ैतहू मिन्ना फ़-त-वफ़हू अलल ईमानि०’
तर्जुमा
ऐ हमारे अल्लाह ! बख़्श दे हमारे ज़िंदों को, हमारे मुर्दों को, हमारे हाज़िर और ग़ैर-हाज़िर लोगों, हमारे छोटों और बड़ों को, हमारे मर्दों को और हमारी औरतों को। ऐ हमारे अल्लाह ! हममें से तू जिसको ज़िंदा रखे, इस्लाम पर ज़िंदा रख और जिसको तू मौत दे, उसे ईमान पर मौत दे ।

Janaze Ki Namaz Ka Tarika in Hindi

जनाजे की नमाज की दुआं | Janaze ki Namaz Ki Dua in Hindi

  • अगर मैयत नाबालिग़ है तो देखो लड़का है या लड़की
  • अगर लड़का है तो यह जनाजे की दुआ पढ़ी जाए-

‘अल्लाहुम-मजअलहु लना फ़रतंव- वज- अलहु लना अज-रवं व जुख-रव-वज अलहु लना शाफ़िअंव्व मुशफ़्फ़आ०
तर्जुमा
ऐ अल्लाह ! इस (लड़के) को हमारे लिए पेश रौ बना दे और इसे हमारे लिए अज्र की वजह और ज़ख़ीरा बना दे और इसे हमारे लिए सिफ़ारिश करने वाला और सिफ़ारिश क़ुबूल किया हुआ बना दे ।

जनाजे की नमाज की दुआं | Janaze ki Namaz Ki Dua in Hindi
  • अगर लड़की है तो यह जनाजे की नमाज दुआ पढ़ी जाए

‘अल्लाहुम-मज अल हा लना फ़-स्-तंव-वज अलहा लना अज रंव-व- जुखरंव वज अलहा लना शफ़िअतंव-व मुशफ़-फ़ अ: ० ‘ वज अलहा लना शअितव-व
तर्जुमा
ऐ अल्लाह ! इस (लड़की) को हमारे लिए पेश रौ बना दे और इसे हमारे लिए अज्र की वजह से ज़ख़ीरा बना दे और इसे हमारे लिए सिफ़ारिश करने वाली और सिफ़ारिश क़ुबूल की हुई बना दे ।

जनाजे की नमाज की दुआं | Janaze ki Namaz Ki Dua in Hindi
  • फिर पहले की तरह तक्बीर कहें और दाईं ओर मुंह फेरकर ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि’ कहें
  • और बाई ओर मुंह फेरकर ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि ‘ कहें। (पस नमाज़ पूरी हो गई)
  • अगर जनाजे की नमाज़ शुरू हो गई और किसी को कभी वुज़ू करना है और वह महसूस करता है
  • कि मैं अगर वुज़ू में लगता हूं तो नमाज़ ख़त्म हो जाएगी, तो उसे चाहिए कि वह तयम्मुम करके शरीक हो जाए,
  • बशर्ते कि यह आदमी मैयत का वली न हो। क्योंकि वली दोबारा जनाज़े की नमाज पढ़ सकता है।
  • जनाज़े की नमाज़ की तस्बीरें बाक़ी नमाज़ों की रकअत की जगह पर समझी जाती हैं।
  • अगर कोई आदमी नमाज़ के शुरू में शरीक न हो सका, तो वह इमाम के साथ सलाम न फेरे
  • बल्कि बाक़ी नमाज़ का जो हिस्सा रह गया है, उसे पूरे करे जिस तरह कि दूसरी नमाज़ों की तर्तीब होती है, यहां भी उसी तर्ती को ध्यान में रखे ।