सेहरी की नियत हिंदी में Sehri Ki Niyat Dua Hindi इफ्तार की दुआ हिंदी में रोजा रखने की नियत की दुआ रोजा रखने की दुआ Hindi रोजा रखने की नियत
अगर आप एक मुसलमान है ऐसे में रमजान का रोजा आप पर फर्ज है रमजान का रोजा रखने से पहले सेहरी का करना और सेहरी की नियत करना बेहद जरुरी है इसके नियत के बिना रोजा रखने के कोई फायदा नहीं क्योकि नियत के बिना आप भूखे हो सकते है लेकिन रोजा नहीं
इसलिए रमजान के महीने में रोजा रखने से पहले रोजा की नियत की दुआ जरुर पढ़े साथ ही हम आपको इफ्तार की दुआ भी बता रहे है
रमजान सेहरी की नियत हिंदी में | Sehri Ki Niyat Dua
- रमजान के पाक महीने में रोजा रखने यानि सेहरी की नियत
- “वा बी सा उमी गद्दीन ना वाई तू मिन शहरे रमज़ान”
- रोजा खोलने व् इफ्तार की दुआ हिंदी में निम्न है
- ” अल्लाहुमा लका सुमतु व बि क आमन्तू – व अलै क तवककल्तु व अला रिजि का अफ्तरतो “
रोजा रखने व् खोलने की दुआ
- सेहरी की दुआ
- “वा बी सा उमी गद्दीन ना वाई तू मिन शहरे रमज़ान”
- इफ्तार की दुआ
- ” अल्लाहुमा लका सुमतु व बि क आमन्तू – व अलै क तवककल्तु व अला रिजि का अफ्तरतो “
Roza Rakhne Kholne Ki Dua In Arbic
- सहरी की दुआ | सहरी की नियत
- وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ
- रोजा खोलने की दुआ उर्दू में | इफ्तार की दुआ
- اَللّٰهُمَّ اِنِّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ
रोजा रखने का मकसद | Roza Rakhne Ka Maqsad
इस्लाम में पहले की कौम के लिए भी रोजा फर्ज किया गया और इस उम्मत पर भी रोजा फर्ज है इसलिए सवाल दिल में जरुर उठता होगा ” क्यों रोजे की पाबन्दिया लगी है” क्यों खाने पीने से मनाही है
- रोजे का मकसद गुनाह से बचना है
- आगे लिखना बाकी है …………………………………..