पंजतन पाक नात लिरिक्स Panjtan Pak Naat Lyrics New mein to panjtan ka ghulam hoon lyrics in urdu Hindi Naat Lyrcis In Hindi Naat Main to panjtan ka ghulam hoon Lyrics
पंजतन पाक नात लिरिक्स
नात लिरिक्स | पंजतन पाक नात |
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लेखक | यूसफ कमर |
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केटेगरी | पंजतन लिरिक्स |
Panjtan Pak Naat Lyrics In Hindi
- मैं तो पंज-तन का ग़ुलाम हूँ
- मैं ग़ुलाम इब्न-ए-ग़ुलाम हूँ
- मैं फ़क़ीर-ए-ख़ैरुल-अनाम हूँ
- मैं तो पंज-तन का ग़ुलाम हूँ
- मुझे ‘इश्क़ है तो ख़ुदा से है
- मुझे ‘इश्क़ है तो रसूल से
- ये करम है सारा बतूल का
- मेरे मुँह से आए महक सदा
- जो मैं नाम लूँ तेरा झूम के
- मैं तो पंज-तन का ग़ुलाम हूँ
- मैं तो पंज-तन का ग़ुलाम हूँ
- मुझे ‘इश्क़ सर्व-ओ-समन से है
- मुझे ‘इश्क़ सारे चमन से है
- मुझे ‘इश्क़ उन के वतन से है
- मुझे ‘इश्क़ उन की गली से है
- मुझे ‘इश्क़ है तो ‘अली से है
- मुझे ‘इश्क़ है तो हसन से है
- मुझे ‘इश्क़ है तो हुसैन से
- मुझे ‘इश्क़ शाह-ए-ज़मन से है
- मैं तो पंज-तन का ग़ुलाम हूँ
- मैं तो पंज-तन का ग़ुलाम हूँ
- हुआ कैसे तन से वो सर जुदा
- जहाँ ‘इश्क़ है वहीं कर्बला
- मेरी बात उन ही की बात है
- मेरे सामने वोही ज़ात है
- वही जिन को शेर-ए-ख़ुदा कहें
- जिन्हें बाब-ए-सल्ले-‘अला कहें
- वही जिन को ज़ात-ए-‘अली कहें
- वही पुख़्ता हैं, मैं तो ख़ाम हूँ
- मैं तो पंज-तन का ग़ुलाम हूँ
- मैं तो पंज-तन का ग़ुलाम हूँ
- मैं, क़मर ! हूँ शा’इर-ए-बे-नवा
- मेरी हैसियत ही भला है क्या
- वो हैं बादशाहों के बादशाह
- मैं हूँ उन के दर का बस इक गदा
- मेरा पंज-तन से है वासिता
- मेरा निस्बतों का है सिलसिला
- मैं फ़क़ीर-ए-ख़ैरुल-अनाम हूँ
- मैं तो पंज-तन का ग़ुलाम हूँ
- मैं तो पंज-तन का ग़ुलाम हूँ
Main to Panjtan ka ghulam hoon
Main to Panjtan ka ghulam hoon
Main ghulam ibne ghulam hoon
Main to Panjtan ka ghulam hoon
Mujhe ishq hai to khuda se hai
Mujhe ishq hai to rasool se
Ye karam hai sara Batool ka
Mere munh se aaye mehek sada
Jo main naam loon tera jhoom ke
Main to Panjtan ka ghulam hoon
Mujhe ishq sarw o saman se hai
Mujhe ishq saare chaman se hai
Mujhe ishq unke watan se hai
Mujhe ishq unki gali se hai
Mujhe ishq hai to Ali se hai
Mujhe ishq hai to Hasan se hai
Mujhe ishq hai to Hussain se
Mujhe ishq shaah e zaman se hai
Main to Panjtan ka ghulam hoon
Hua kese tan se wohsar juda
Jahan ishq ho wahi(n) Karbala
Meri baat unhi ki baat hai
Mere saamne wahi zaat hai
Wohi jin ko Sher e Khuda kahe(n)
Jinhe Baab e Salle Ala kahe(n)
Wohi jinko Aal e Nabi kahe(n)
Wohi jinko Zaat e Ali kahe(n)
Wohi pukhta hain main to khaam hoon
Main qamar hoon shair e be nawa
Meri haisiyat hi bhala hai kya
Woh hain badshaho(n)ke badshah
Main hoon unke dar ka bas ik gada
Mera Panjtan se hai waasta
Mera nisbato(n) ka hai silsila
Main faqeer e Khair ul Anaam hoon
Main to Panjtan ka ghulam hoon