हजरत उस्मान गनी का वाकया Hazrat Usman Ghani Ka Waqia Full

हजरत उस्मान गनी का वाकया Hazrat Usman Ghani Ka Waqia hazrat usman ghani history in hindi Hazrat Usman Ghani Razi Allah tala Hindi sahaba ka waqia

Hazrat Usman Ghani

खलीफ-ए-सोम अमीरूल मोमिनीन हज़रत उस्मान बिन अफ्फान की कुन्नियत “अबू अम्र” और लकब “जुन नूरेन” (दो नूर वाले) है। आप कुरेशी हैं और आप का नसब नामा यह है। उस्मान बिन अफ्फान बिन अबिल आस बिन उमय्या बिन अब्दे शमस बिन अब्दे मुनाफ। आप का खानदानी शजरा “अब्दे मनाफ” पर रसूलुल्लाह के नसब नामा से मिल जाता है

आप ने शुरू ही में इस्लाम कबूल कर लिया था और आप को आप के चचा और दूसरे खानदानी काफिरों ने मुसलमान हो जाने की वजह से बहुत सताया।।

आप ने पहले हबशा की तरफ हिजरत फरमाई। फिर मदीना मुनव्वरा की तरफ हिजरत फ़रमाई। इस लिए आप “साहिबुल हिजरतेन” (दो हिजरतों वाले) कहलाते हैं। और चूँकि हुजूरे अकरम की दो बेटियाँ एक एक करके आप के निकाह में आई इस लिए आप का लकब “जुन नूरेन” हे

आप जंगे बद्र के अलावा दुसरे तमाम इस्लामी जेहादों में कुफ्फार से जंग फरमाते रहे। जंगे बद्र के मौक पर उन की जोजा मुहतरमा जो रसूलुल्लाह की साहबज़ादी थीं सख्त बीमार होगई थीं। इस लिए हुजूरे अकदस ने उन को जंगे बद्र में जाने से मना फुमा दिया लेकिन उन को मुजाहिदीने बद्र में शुमार फ़रमा कर माले ग़नीमत में से मुजाहिदीन के बराबर हिस्सा दिया और अजरो सवाब की खुशखबरी भी दी।

हज़रत अमीरूल मोमिनीन उमर फारूके अज़म की शहादत के बाद आप खलीफा चुने गये और बारा बरस तक तख्ते स्त्रिलाफ़त को सरफ़राज़ फ़रमाते रहे।

आप के दौरे खिलाफ्त में इस्लामी हुकूमत की सरहदों में बहुत ज़्यादा फैलाव हुआ और अफ्रीका वगैरह बहुत से देश कब्जा में आ कर ख़िलाफ़ते राशिदा के ज़ेरे नगीं हुए। बयासी (82) बरस की उम्र में मिस्र के बागियों ने आप के मकान का घेराव कर लिया और 12 जिल हिज्जा या 18 ज़िल हिज्जा 35 हिजरी जुमा के दिन उन बागियों में से एक बंद नसीब ने आप को रात के वक्त इस हाल में शहीद कर दिया कि आप कुरआने पाक की तिलावत फरमा रहे थे और आप के खून के चन्द कृतरात कुरआन शरीफ की आयत पर पड़े।

जनाज़ा की नमाज हुजूरे अकदसके फूफी जाद भाई आप के हज़रत जुबैर बिन अवाम रज़ियल्लाहु अन्हु ने पढ़ाई और आप मदीना मुनव्वरा के कब्रस्तान जन्नतुल वकीअ में मदफन हैं।

(तारीखुल खुलफा व इज़ालतुल खिफा वगैरह)

हजरत उस्मान गनी का वाकया | Hazrat Usman Ghani Ka Waqia

एक वाकया हजरत उस्मान गनी का “ज़िना कार आँखें” को आगे लिख रहे आइये पढ़े Hazrat Usman Ghani Ka Waqia

ज़िना कार आँखें

अल्लामा ताजुद्दीन सबकी अलैहिर्रहमा ने अपनी किताब ” तबकात” में तहरीर फ़रमाया है कि एक शख्स ने रास्ता चलते हुए एक अजनबी औरत को घूर घूर कर गलत निगाहों से देखा। उस के बाद यह शख्स अमीरूल मोमिनीन हज़रत उसमाने गुनी की खिदमते अकदस में हाज़िर हुआ।

उस शख्स को देख कर हज़रत अमीरुल मोमिनीन ने निहायत ही पुर जलाल लेहजे में फ़रमाया कि तुम लोग ऐसे हालत में मेरे सामने आते हो कि तुम्हारी आँखों में जिना के असरात होते हैं।

उस आदमी ने (जल भुन कर) कहा कि रसूलुल्लाह के बाद आप पर वही उतरने लगी है? आप को यह कैसे मालूम हो गया कि मेरी आँखों में जिना के असरात हैं ?

अमीरुल मोमिनीन ने इरशाद फ़रमाया कि मेरे ऊपर वही तो नहीं नाज़िल होती है। लेकिन मैं ने जो कुछ कहा है यह बिल्कुल ही कोले हक और सच्ची बात है और खुदावन्दे कुद्दूस ने मुझे एक ऐसी फ्रास्त (नूरानी बसीरत) अता फरमाई है जिस से में लोगों के दिलों के हालात व ख्यालात को मालूम कर लेता हूँ।

(हुज्जतुल्लाह अलल आलमीन ज़ि 2, स 862, व इज़ालतुल खिफा मक्सद 2, स227)