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Friday, April 19, 2024

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हज़रत सअद बिन अबी वकास Hazrat Saad Bin Abi Waqas Waqia Full

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हज़रत सअद बिन अबी वकास

उन की कुन्नियत अबू इसहाक है और खानदाने कुरेश के बहुत ही नामवर शख्स हैं जो मक्का मुकर्रमा के रहने वाले हैं। यह उन खुश नसीबों में से एक हैं जिन को नबी अकरम ने जन्नत की खुशखबरी दी। यह शुरू इस्लाम ही में जब कि अभी उन की उम्र 17 बरस की थी। दामने इस्लाम में आ गए और हुजूर नवी अकरम के साथ साथ तमाम लड़ाईयों में हाज़िर रहे।

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यह खुद फरमाया करते थे कि मैं वह पहला शख्स हूँ जिस ने अल्लाह तआला की राह में कुफ़्फ़ार पर तीर चलाया। और हम लोगों ने हुजूर के साथ रह कर इस हाल में जिहाद किया कि हम लोगों के पास सिवाए बबूल के पत्तों और बबूल के फल्लियों के कोई खाने की चीज़ न थी।

Hazrat Saad Bin Abi Waqas Waqia (मिश्कात जि 2, स567

हुजूरे अकदस ने खास तौर पर उन के लिए यह दुआ फरमाई
للهم سدد سهمه واجب دعوته
तर्जुमा
ऐ अल्लाह उन के तीर के निशाने को दुरूस्त फ्रमा दे और उन की दुआ को क़बूल फरमा

Hazrat Saad Bin Abi Waqas Waqia
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Hazrat Saad Bin Abi Waqas Waqia

खिलाफते राशिदा के ज़माने में भी यह फारस और रूम के जिहादों में कमान्डर रहे। अमीरूल मोमिनीन हज़रत उमर ने अपने दौरे ख़िलाफ़त में उन को कूफ़ा का गवर्नर मुक्रेर फ़रमाया। फिर उस उहदा से हटा दिया। और यह बराबर जिहादों में कुफ़्फ़ार से कभी सिपाही बन कर और कभी इस्लामी लश्कर के कमान्डर बन कर लड़ते रहे।

जब उस्मान गुनी अमीरूल मोमिनीन हुए तो उन्हों ने दोबारा उन को कूफ़ा का गवर्नर बना दिया। यह मदीना मुनव्वरा के करीब मकामे ” अतीक” में अपना एक घर बना कर उस में रहते थे और 55 हिजरी में जब कि उन की उम्र शरीफ़ पचहत्तर (75) बरस की थी उसी के अन्दर विसाल फ़रमाया। आप ने वफात से पहले यह वसियत फ़रमाई थी कि मेरा ऊन का वह पुराना जुब्बा इमाम आज़म ज़रूर पहनाया जाए जिस को पहन कर मैं ने जंगे बद्र में कुफ़्फ़ार से जिहाद किया था।

चुनान्चे वह जुब्बा आप के कफ़न में शामिल किया गया। लोग पुरी अकीदत से आप के जनाज़े को कंधों पर उठा कर मकामे “अतीक” से मदीना मुनव्वरा लाए और हाकिमें मदीना मरवान बिन हकम ने आप की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और जन्नतुल बकीअ में आप की कब्र मुनव्वर बनाई।

‘अशरए मुबश्शेरा” यअनी जन्नत की खुशखबरी पाने वाले दस ” सहाबियों में से यही सब से आखिर में दुनिया से तशरीफ़ ले गए और उन के बाद दुनिया अशरए मुबश्शेरा के ज़ाहिरी वजूद से खाली हो गई। मगर ज़माना उन की बरकात से हमेशा हमेशा फैज़ पाता रहेगा।

Hazrat Saad Bin Abi Waqas Waqia अकमाल की असमाइर्रिजाल व तज़किरतुल हुफ्फाज़ जिल्द नं०1, सफा नं०-22 वगैरा

Hazrat Saad Bin Abi Waqas Waqia

आप की करामतों में से चन्द करामात निम्नलिखित हैं।

बदनसीब बूढ़ा की कहानी: हज़रत जाबिर से रिवायत है कि कूफ़ा के कुछ लोग हज़रत सअद बिन अबी वकास की शिकायत लेकर अमीरूल मोमिनीन हज़रत फ़ारूके अज़म के दरबारे खिलाफ्त में मदीना मुनव्वरा में पहुँचे हज़रत अमीरूल ने उन शिकायात की तहकीकात के लिए चन्द भरोसेमन्द सहाबियों को हज़रत सअद बिन अबी वकास के पास कूफा भेजा और यह हुक्म फ़रमाया कि कूफा शहर की हर मस्जिद के नमाज़ियों से नमाज़ के बाद यह पूछा जाए कि हज़रत सअद बिन अबी वकास कैसे आदमी हैं?

चुनान्चे तहकीकात करने वालों की इस जमाअत ने जिन जिन मस्जिदों में नमाज़ियों की कसम दे कर हज़रत सअद बिन अबी वकास के बारे में दरयाफ़्त किया तो तमाम मस्जिदों के नमाज़ियों ने उन के बारे में अच्छा कहा और तअरीफ की। मगर एक मस्जिद में सिर्फ एक आदमी जिस का नाम “अबू सअदा था। उस ने हज़रत सअद बिन अबी वकास की तीन शिकायात पेश कीं और कहा

यअनी यह माले गनीमत बराबरी के साथ तकसीम नहीं करते और खुद लश्करों के साथ जिहाद में नहीं जाते और मुकद्दमात के फैसलों में इन्साफ नहीं करते

यह सुन कर हज़रत सअद बिन अबी वकास ने फौरन ही दुआ मांगी ! ऐ अल्लाह ! अगर यह शख्स झूठा है तो उस की उम्र लम्बी कर दे और उस की गरीबी को बढ़ा दे।

उस को फ़ितनों में मुब्तला करदे। अब्दुल मलिक बिन उमेर ताबई का बयान है कि इस दुआ का मैंने यह असर देखा कि “अबू सब्दा” इस क़दर बूढ़ा हो चुका था कि बूढ़ापे की वजह से उस की दोनों भवें उस की दोनों आँखों पर लटक पड़ी थीं और वह दर बदर भीक मांग मांग कर बहुत फकीरी और मुहताजी की ज़िन्दगी बसर करता था।

और इस बुढ़ापे में भी वह राह चलती हुई जवान लड़कियों को छेड़ता था। और उन के बदन में चुटकियाँ भरता रहता था और जब कोई उस से उस का हाल पुछता था तो वह कहा करता था कि मैं क्या बताऊँ? मैं एक बूढ़ा हूँ जो फ़ितनों में मुब्तला हूँ क्योंकि मुझ को हज़रत सअद बिन अबी वकास की बद दुआ लग गई है। आगे पढ़े 10 जन्नती सहाबा के नाम

Hazrat Saad Bin Abi Waqas Waqia हुज्जतुल्लाह अलल आलमीन जिल्द-2, सफा-865 बहवाला बुखारी व मुस्लिम व बैहकी

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