हजरत अमीर मुआविया Hazrat Ameer Muavia Life History in Hindi हजरत अमीर मुआविया कौन थे hazrat ameer muawiya ki shan हजरत अमीर मुआविया का इतिहास
आप भी हजरत अमीर मुआविया, हुज़ूर ﷺ के सहाबी में से एक है आपका मुकाम इस्लाम में आला मुकाम है और इस्लाम धर्म में आपके नाम से कुंडा का फातिहा भी किया जाता है कुंडा का फातिहा कब है जाने क्लिक से
हजरत अमीर मुआविया
हज़रत अमीर मआविया: आप के वालिद का नाम अबू सुफ़यान और वालिदा यानी पिता का नाम हिन्दा बिन्ते उतबा है। सन ८ हिजरी में फ़तहे मक्का के दिन यह खुद और आप के वालिदैन सब मुसलमान हो गए और हज़रत अमीरे मआविया चूँकि बहुत ही अच्छे कातिब थे इस लिए दरबारे नुबुवत वही लिखने वालों की जमाअत में शामिल कर लिए गए।
अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर के दौरे खिलाफत में यह शाम के गवर्नर मुकर्रर हुए और हज़रत अमीरूल मोमिनीन उस्मान गनी के दौरे खिलाफत ख़त्म होने तक उस अहिदा पर रहे मगर जब अमीरूल मोमिनीन हज़रत अली तख़्ते ख़िलाफ़त पर रौनक अफ्रोज़ हुए तो आप ने उन को गवर्नर से हटा दिया। लेकिन उन्होंने हटाये जाने का परवाना कबूल नहीं किया और शाम की हुकूमत न छोड़े।
बल्कि अमीरूल मोमिनीन हज़रत उस्मान गनी के खून के कुंसास (बदला) का मुतालबा करते हुए उन्होंने अमीरूल मोमिनीन हज़रत अली की बैअत से न सिर्फ इनकार किया बल्कि उन से मकामे सिफ्फीन में जंग भी हुई।
फिर जब सन् 41 हिजरी में हज़रत इमाम हसन मुजतबा ने खिलाफत उन के हवाले कर दी तो यह पूरे आलमे इस्लाम के बादशाह हो गए। बीस बरस तक ख़िलाफ़ते राशिदा के गवर्नर रहे और बीस बरस तक खुद मुख्तार बादशाह रहे। इस तरह चालीस बरस तक शाम के तख़्ते सलतनत पर बैठ कर हुकूमत करते रहे और खुश्की व समन्दर में जेहादों का इन्तज़ाम फ़रमाते रहे।
हजरत अमीर मुआविया कौन थे
इस्लाम में समुद्री लड़ाइयों की शुरूआत करने वाले आप [हजरत अमीर मुआविया] हैं। जंगी बेड़ों की तअमीर का कारखाना भी आप ने बनवाया। खुश्की और समन्दरी फौजों की बेहतरीन तनज़ीम फ़रमाई और जेहादों की बदौलत इस्लामी हुकूमत की सरहदों को खूब खूब बढ़ाते रहे और इशाअते इस्लाम का दाइरा बराबर बढ़ता रहा, जगह जगह मसाजिद की तअमीर और दर्स गाह्रों का क्याम फरमाते रहे।
रजब सन् 60 हिजरी में आप लकवा की बीमारी में मुबतला हो कर अपने राजधानी दमश्क में विसाल फ़रमाया। बवक्ते विसाल आप ने वसियत फ़रमाई थी कि
मेरे पास हुजूरे अकदस का एक पैराहन, एक चादर, एक लूंगी और कुछ बाल मुबारक और नाखूने अकदस के चन्द तराशे हैं। इन तीनों मुकद्दस कपड़ों को मेरे कफन में शामिल किया जाए और मुए (बाल) मुबारक और नाखून अकदस को मेरी आँखों आज़म में रख कर मुझे अर्रहम रीहिमीन के सुपुर्द किया जाए। चुनान्चे लोगों ने आप की इस वसियत पर अमल किया।
अकमाल स 617 वगैरा
Hazrat Ameer Muawiya Death
आप हजरत अमीर मुआविया: बवक्ते विसाल या मृत्यु अठहत्तर या छियासी बरस की उम्र थी। विसाल के वक़्त उन का बेटा यज़ीद दमश्क में मौजूद नहीं था। इस लिए ज़हाक बिन कैस ने आप के कफ़न दफ़न का इन्तज़ाम किया और उसी ने आप की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई। हज़रत अमीरे मआविया बहुत ही खूबसूरत, गोरे रंग वाले और निहायत ही वजीह और रोब वाले थे। चुनान्चे अमीरूल मोमिनीन हज़रत उमर फ़रमाया करते थे कि “मआविया” अरब के “किसरा” हैं।
असदुल गाबा जिल्द4, स 385 ता 387
Hazrat Ameer Muavia Life History in Hindi
History: Hazrat Ameer Muavia Life in Hindi: आप की चन्द करामतें बहुत ही मशहूर हैं और आप के फ़ज़ाइल में चन्द अहादीस भी मरवी हैं।
जंग में कभी मग़लूब (हारे) नहीं हुऐ : उन की एक मशहूर करामत यह है कि कुश्ती या जंग में कभी भी और कहीं भी और किसी शख्स से भी मगलूब नहीं हुए बल्कि हमेशा ही अपने मद्दे मुकाबिल पर ग़ालिब रहे क्योंकि हुजूरे अकदस ने उन के बारे में इरशाद फ़रमाया था। “यअनी मआविया जिस शख्स से लड़े गा मआविया ही उस को पिछाड़ेगा“
कंजुल उम्माल जि 12, स 317 बहवाला दैलमी अन इब्ने अब्बास
दुआ मांगते ही बारिशः सलीम बिन आमिर हबाइरी का बयान है कि एक मर्तबा मुल्के शाम में बिल्कुल ही बारिश नहीं हुई और सख्त सूखा का दौर दौरा हो गया।
हज़रत अमीरे मआविया नमाज़े इस्तिसका के लिए मैदान में निकले और मिंबर पर बैठ कर आप हज़रत इब्ने असवद जरशी को बुलाया और उन को मिंबर के नीचे ने अपने कदमों के पास बैठा कर अपने दोनों हाथों को उठाया और इस तरह दुआ मांगी कि
या अल्लाह! हम तेरे हुजूर में हज़रत इब्ने असवद जरशी को सिफारशी बना कर लाए हैं जिन को हम अपने से नेक और अफज़ल समझते हैं। फिर हज़रत इब्ने असवद जरशी और तमाम हाज़िरीन भी अपने अपने हाथों को उठा कर बारिश की दुआ मांगने लगे।
अचानक पच्छिम से एक जोर दार बादल उठा। फिर मौसला धार बारिश होने लगी। यहाँ तक कि मुल्के शाम की ज़मीन सैराब हो कर खेती से हरी भरी हो गई।
तबकात इब्ने सअद जिल्द 7, सफा 444
ISLAM: Hazrat Ameer Muawiya Ki Shan
शैतान ने नमाज़ के लिए जगायाः Hazrat Ameer Muawiya Ki Shan: हज़रत अल्लामा जलालुद्दीन मौलाना-ए-रूम ने अपनी मस्नवी शरीफ में आप की इस करामत को बड़ी धूम से बयान फ़रमाया है कि एक दिन आप के महल में दाखिल होकर किसी ने आप को नमाज़े फज्र के लिए जगाया तो आप ने पुछा कि तू कौन है? और किस लिए तू ने मुझे जगाया है?
तो उस ने जवाब दिया कि ऐ अमीरे मआविया ! मैं शैतान हूँ। आप ने हैरान होकर पुछा कि ऐ शैतान! तेरा काम तो इंसान से गुनाह कराना है और तू ने नमाज़ के लिए जगा कर मुझे नेक अमल करने का मौका दिया। इस की वजह क्या है? तो शैतान ने जवाब दिया कि
ऐ अमीरुल मोमिनीन ! मैं जानता हूँ कि अगर सोते रहने में आप की नमाज़े फज्र कज़ा हो जाती तो आप ख़ौफे इलाही से इस क़दर रोते और इस कसरत से तौबा व इस्तिगफार करते कि ख़ुदा की रहमत को आप की बे कुरारी व रोने धोने पर प्यार आ जाता कि वह आप की कज़ा नमाज़ कबूल फरमा कर अदा नमाज़ से हज़ारों गुना ज़्यादा अज्र व सवाब अता फ्रमा देता।
चूँकि मुझे ख़ुदा के नेक बन्दों से दुश्मनी व हसद है इस लिए मैंने आप को जगा दिया ताकि आप को कुछ ज़्यादा सवाब न मिल सके।
मस्नवी मौलाना रूम अलैहिर्रहमा