मस्जिद के आदाब Masjid Ke Adaab in Hindi: इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखने वाला मुसलमान नमाज पढ़ने मस्जिद रोजाना जाता है लेकिन ऐसे भी बहुत से लोग है जिन्हें मस्जिद के आदाब की जानकारी नहीं होती है अगर ऐसा है तो आज आपके लिए 15 मस्जिद के आदाब की जानकारी दे रहे है
MASJID: मस्जिद के आदाब
- मस्जिद आदाब यूँ है कि –
- घर से वज़ु बनाकर आयें
- चप्पल-जूता को सलीके के साथ स्टैंड में रखें
- मस्जिद में दाखिल होते वक्त और निकलतें वक्त मसनून दुआ का एहतेमाम करें
- मस्जिद में दाखिल होते वक्त दायाँ पाँव और बाहर निकलते वक्त बाँया पाँव पहले रखें
- गाडी पार्किग में सलीके से लगायें
- मस्जिद में साफ-सफाई का खास ख्याल रखें
- पहले आने पर पहले की सफों में तशरीफ रखें
- बाद में आने पर लोगों को लाघंते हुऐ आगे ना बढ़े
- दो रकअत तहयतुल मस्जिद का एहतेमाम ज़रुर करें
- अज़ान और इकामत के दरम्यान दुआ के एहतेमाम ज़रूर करें
- मस्जिद के दर्से कुरआन,खुलासा कुरआन,दर्से हदीस को गौर से सुने
- और मस्जिद में मोबाईल फोन साईलेंट रखें
- मस्जिद में दुनियादारी की बातें ना करें,ना ही शोर गुल करें
- शरई लिबास पहन कर मस्जिद तशरीफ लायें
- किसी तरह का नशा मस्जिद में करने न जाएँ
Masjid Ke Adaab in Hindi
मेरे प्यारे प्यारे इस्लामिक भाइयों मस्जिद के आदाब की कुछ छोटी छोटी बातें हमने आपको बताई है लेकिन विस्तार से मस्जिद के आदाब की जानकारी चाहते है ऐसे में मस्जिद के आदाब पीडीऍफ़ बुक डाउनलोड जरुर करे मस्जिद के आदाब बुक में आपके बहुत से सवाल के जवाब मिलेंगे जैसे मस्जिद का कूड़ा कहा डाला जाएँ इत्यादि
मस्जिद का कूड़ा कहा डाला जाएँ
Masjid Ke Adaab: मस्जिद का कूड़ा/मस्जिद की चटाई के तिन्के वगैरा ऐसी जगह फेंकना मन्अ है जहां वे अ-दबी का अन्देशा हो चुनान्चे हज़रते अल्लामा अलाउद्दीन मुहम्मद बिन अली इस्कफी फ़रमाते हैं:
- मस्जिद की घास और कूड़ा, झाड़ कर किसी ऐसी जगह न डालें
- जिस से उस की ताज़ीम में फर्क आए।
- यूं ही मस्जिद की कोई चीज़ बोसीदा हो जाए, तो उसे खरीद कर भी बे अ-दबी की जगह न लगाया जाए
- जैसा कि मेरे आका आला हज़रत इमामे अहले सुन्नत, मुजद्दिदे दीनो मिल्लत मौलाना शाह इमाम अहमद रजा खान की बारगाह में सुवाल किया गया कि
- मस्जिद की कोई चीज़ खराब हो जाए, उसे बेच कर उस की कीमत मस्जिद में दें फिर दूसरा आदमी कीमत दे कर मस्जिद की वोह चीज़ अपने मकान में रखे
- तो उस के लिये जाइज़ है या नहीं ?
- तो आला हज़रत ने जवाबन इर्शाद फ़रमाया : जाइज़ है मगर उसे बे अ-दबी की जगह न लगाए